Strawberry Ki Kheti Kaise Kare Hindi, कमाई Profit, इतिहास, Puri Jankari, स्ट्रॉबेरी का पौधा, Stroberi Ki Kheti Karen, स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करें, Kaise Ugate Hain, Farming
दोस्तों आज के समय में स्ट्रॉबेरी की मांग इतनी बढ़ गई है कि इसकी पूर्ति कर पाना मुश्किल से हो रहा है ऐसे में स्ट्रॉबेरी की मांग को देखते हुए Strawberry Ki Kheti करने में हमको अच्छा खासा मुनाफा (Profit) मिल सकता है।
स्ट्रॉबेरी स्वाद में हल्का मीठा और खट्टा होता है जिसकी भारत में अभी 600 प्रजातियां उपलब्ध है और इसका रंग चटक लाल रंग होता है इसका ज्यादातर उपयोग आइसक्रीम में होता है।
Stroberi में पाए जाने वाले विटामिन के कारण ही इनकी मांग बहुत बढी है क्योंकि स्ट्रॉबेरी में हमें विटामिन C विटामिन A उसके साथ-साथ विटामिन K भी मिल जाता है जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है।
इसी के साथ इसमें लवण भी हमको मिलता है जैसे कैल्शियम (CAL), मैग्नीशियम(Mg), फोलिक एसिड, फास्फोरस पोटैशियम।
Strawberry में आप को सबसे बड़ा ध्यान इसकी पैकिंग में रखनी पड़ती है क्योंकि इसकी कटाई के बाद इसकी पैकिंग की जाती है और अच्छे से इसका रखरखाव करना पड़ता है।
तो चलिए जानते हैं विस्तार से चर्चा करते है कि कैसे हम इसकी खेती स्टार्ट कर सकते हैं।
Table of Contents
स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करें (Strawberry Ki Kheti Kaise Kare)
स्ट्रॉबेरी की इतिहास (History Strawberry Cultivation )
स्ट्रॉबेरी के बारे में ज्यादातर अभी-अभी सुनाई में आ रहा है लेकिन यह भारत में बहुत पहले से खेती होती आ रही है लेकिन पहले इतनी अच्छी वैरायटी हमको नहीं मिल पाती थी।
अगर भारत मे Strawberry Ki Kheti की बात करें तो 1960 में उत्तर प्रदेश तथा हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी खेती किया गया था लेकिन Strawberry Varieties इतनी अच्छी देखने को नहीं मिला था।
जिसके लिए हमें विदेशों से भी इसकी वैरायटी लानी पड़ी तो ही आज इतना अच्छा स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है।
स्ट्रॉबेरी की खेती मे मिट्टी और जलवायु
दोस्तों स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए वैसे तो कोई मिट्टी तय नहीं की गई है यहां इसके लिए मिट्टी की उपजाऊ पन की ही जरूरत पड़ती है।
फिर भी यह बलुई दोमट मिट्टी में अच्छा उत्पादन देता है और इसके साथ साथ मिट्टी का Ph परीक्षण भी बहुत जरूरी है क्योंकि इसके लिए पीएच 5.0 से 6.5 की जरूरत होती है ।
साथ में strawberry Cultivation के लिए उचित तापमान 20 से 30 सेंटीग्रेड होना चाहिए और अगर तापमान इससे ज्यादा होता है तो हमको फसलों में कुछ नुकसान भी दिखाई देने लगता है तो अच्छा रहे की तापमान को इस तरह से कंट्रोल करके रखे।
स्ट्रॉबेरी की कुछ किस्में (Strawberry Varieties)
भारत में Strawberry की ज़्यादातर Varieties बाहर से लाई गयी है Business के रूप से खेती करने के लिए कुछ किस्में अप जरूर जाने – ओफ्रा, कमारोसा, चांडलर, स्वीट चार्ली, ब्लेक मोर, एलिस्ता, सिसकेफ़, फेयर फाक्स ये सारी किस्में है।
बुवाई का समय (Strawberry Sowing Time)
किसान वीरो कोई भी फसल को लगाने के लिए बुवाई का निश्चित समय जरूर होता है तभी हमें उत्पादन अच्छा मिल पाता है तो ऐसे में अब स्ट्रॉबेरी को लगाते हैं।
तो इसके लिए सबसे अच्छा समय 10 सितंबर से लेकर 15 अक्टूबर तक अच्छा रहता है इसी बीच हम स्ट्रॉबेरी लगा सकते हैं क्योंकि इसी समय तापमान सबसे अच्छा रहता है।
स्ट्रॉबेरी की खेती मे खाद व उर्वरक
स्ट्रॉबेरी का पौधा बहुत ही नाजुक होने के कारण इसमें हमको समय-समय पर खाद व उर्वरक की जरूरत पड़ती है।
तो ऐसे में किसान मिट्टी परीक्षण कराएं तो सबसे अच्छा रहेगा और इसमें सामान्यतः खाद के रूप में हमको नाइट्रोजन फास्फोरस p205 और पोटाश k20 उपयोग कर सकते हैं।
स्ट्रॉबेरी की खेती मे सिंचाई (Strawberry Irrigation System)
अब हमारा अगला टॉपिक आता है स्ट्रॉबेरी की सिंचाई को लेकर क्योंकि हमारे देश में ज्यादातर फसल वर्षा आधारित होती है तो ऐसे में कहीं एरिया में बारिश कम होती है।
इसके लिए हमको नियमित सिंचाई के लिए साधन की जरूरत पड़ती है तो इसमें सबसे पहला सिंचाई तो पौधे लगाने के ही समय ही करना होता हैं।
और लगाते समय उतना जरूरत नहीं पड़ेगी बस जमीन को नमी रखनी पड़ती है इसमें सिंचाई के लिए सबसे अच्छा रहता है स्प्रिंकलर विधि।
जैसे हम चना में ही स्प्रिंकलर विधि द्वारा सिंचाई करते हैं वैसे इसमें भी कर सकते हैं या फिर थोड़ा पेड़ बड़ा हो जाए संभलने लग जाए तो फिर हम इसमें ड्रिप इरिगेशन कर सकते हैं जिसे हम टपक सिंचाई कहते हैं हिंदी में।
Strawberry Ki Kheti मे बेड तैयार करना
Stroberi Ki Kheti में आवश्यक खाद व उर्वरक देने के बाद बेड बनाने के लिए बेड की चौड़ाई 2 फिट रखे फिर बेड से बेड की दूरी 1.5 फिट रखे।
बेड तैयार होने के बाद उस पर Drip Irrigation System की पाइपलाइन बिछा दे पौधे लगाने के लिए प्लास्टिक मल्चिंग में 20 से 30 cm की दूरी पर छेद करे।
Strawberry के पौधे लगाने का सही समय 10 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक अच्छा होता है। यदि तापमान ज्यादा हो तो पौधे सितम्बर ke आखिरी तक लगा सकते है।
पैकिंग (Strawberry Packaging)
स्ट्रॉबेरी की खेती में सबसे ज्यादा इसकी पैकिंग मायने रखती है क्योंकि यह बहुत ही नाजुक पौधा होता है और नाजुक फल है तो ऐसे में इस की कटाई के बाद इसकी पैकिंग बहुत जरूरी है।
तो इसके लिए हम पैकिंग के लिए प्लास्टिक के प्लेटो का उपयोग कर सकते हैं और पैकिंग के पहले हवादार जगह में रखनी चाहिए।
उसके बाद इसको निश्चित तापमान 5 डिग्री से 0 डिग्री मे इसको रखनी चाहिए जिससे यहां कुछ दिनों तक अच्छा रह सके तो यह ध्यान आपको रखनी पड़ेगी।
स्ट्रॉबेरी की खेती मे सब्सिडी ( Subsidy Of Strawberry Farming)
दोस्तों स्ट्रॉबेरी की मांग आजकल बहुत ज्यादा बढ़ गई है लेकिन इसकी पूर्ति ना के बराबर हो रही है इसी कारण इसमें सरकार भी आगे आती है तो ऐसे में सरकार द्वारा हमको Strawberry Ki Kheti मे कुछ सब्सिडी भी देखने को मिलता है।
जो अलग अलग राज्य के हिसाब से रहता है जिसमें हम इसके कुछ खेती में उपयोग होने वाले वस्तु लेते हैं उसमें हमको कुछ सब्सिडी देखने को मिलता है जैसे प्लास्टिक मल्चिंग और ड्रिप इरिगेशन फुआरा आदि में 40 से 50 परसेंट की सब्सिडी मिलती है।
जो कि आपको अपने एरिया के कृषि विभाग में पता करना होगा क्योंकि वही आपको इसकी अच्छी जानकारी मिल पाएगी।
स्ट्रॉबेरी की कीमत (Strawberry Farming Profit And Benefits)
कोई भी फसल हो या कोई भी सब्जी हो इसमें किसान अगर फसल लगाता है तो उसको निश्चित मुनाफा मिलना बहुत जरूरी है तो ऐसे में स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं तो आपको इतनी परेशानी नहीं आएगी।
यह फसल आराम से मार्केट में बिक जाती है और अच्छा रेट भी मिलता है क्योंकि यह ऐसा फसल है जिसमें कंपटीशन बहुत कम है तो सामान्य बात करें तो बाजार में इसका इसकी कीमत अभी 300 से ₹600 तक है।
तो दोस्तों यह रही हमारे द्वारा इकट्ठी की गई जानकारी तो आपको कैसी लगी जानकारी ” Strawberry Ki Kheti Kaise Kare” हमें कमेंट में जरूर बताएं और हो सके तो हमारे अगले दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें इससे हमारा हौसला बढ़ता है जिसके चलते हम और अच्छा से अच्छा जानकारी आपके लिए लाने की कोशिश करते है।
आपका प्रेम पूर्वक धन्यवाद,
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