माहू कीट की दवा [भूरा, पीला, लाल माहू, धान] | Mahu Ki Dawa Dhan Aphids Control

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फसलों में माहू कीट से आज बहुत से किसान परेशान है क्योंकि इसके प्रकोप से लगभग पूरी फसल चौपट हो सकती है इसी को अंग्रेजी में Brown plant hopper, BPH और Aphids कहा जाता है।

फसलों मे Maho एक कीट होता है जो फसलों के रस को चूसकर पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं भारत में सबसे पहला माहू बीमारी सन 1900 में देखा गया था लेकिन इसका सबसे पहले फसलों में नुकसान 1965 में केरल के कट्टूनाड में देखा गया था।

Mahu control करने के लिए आज के समय में बहुत सारे तरीके हैं जिससे माहू कीट को कंट्रोल किया जा सकता है।

जिसके लिए मार्केट में बहुत सारे महू कीट की दवा उपलब्ध है जिसके जरिए आराम से एफीड्स को नियंत्रित किया जा सकता है।

इसी के साथ कुछ रासायनिक विधि और सावधानियां बरतकर किसान आराम से माहू की रोकथाम कर सकता है।

Aphids का scientific name Aphidoidea है तो चलिए अब इसके बारे में विस्तार से जानने का प्रयास करते हैं कि माहू कीट बीमारी फसलों में कैसे लगती है और कैसे हम नियंत्रित कर सकते हैं।

माहू क्या है (Aphid Kya Hai)

Mahu फसल में लगने वाले घातक कीट है जो फसलों के रस चूसक कीट होते हैं जिसे अंग्रेजी में ब्राउन प्लांट हॉपर BPH कहा जाता है इसी को Aphids भी कहते हैं।

माहू कीट हल्के काले रंग और पीले रंग का होता है जो शाम के समय अंधेरे में काफी तेजी से उड़ता है और यह पौधों के नरम हिस्सों जैसे पौधों के ऊतकों को छेद करते हैं और फसल का रस चूसते रहते हैं ।

इसकी संख्या फसलों में बहुत जल्दी बढ़ती है इसका प्रभाव थोड़े से फसल में दिखने के बाद रोकथाम नहीं किए जाने पर पूरी फसल में फैल जाता है और फसलों को पूरा चौपट कर देता है।

माहु सभी तरह के फसलों मे लगता है जैसे धान की फसल सरसों धनिया और भी फसलों मे इनका नियंत्रण करना जरूरी होता है।

पहचान और कुल (Mahu Ki Pahchan)

समानत: Mahu Aphidoidea कुल में आते हैं जिसकी 4400 प्रजातियां और 10 कुल पाई जाती है महू कीट की लंबाई की बात करें तो 1mm से 10mm तक होती है।

माहू कीट फसलों पर लगने पर इसकी पहचान हम आसानी से कर सकते हैं यह हल्के काले और पीले रंग का कीट होता है जो शाम या रात के समय बहुत तेजी से इधर-उधर उड़ते रहते हैं और धीरे-धीरे पूरी तरह से फसल में फ़ैल जाते हैं ।

माहू का जीवन चक्र (Maho Aphids life cycle)

maho kit के जीवन चक्र की बात करें तो इसमें मादा कीटो की संख्या ज्यादा होती है जो नए कीटो को जन्म देती है जो बिना पंख के पंखहीन होते है जो 3 से 4 दिनों में प्रौढ़ हो जाते है ।

और धीरे धीरे यही प्रक्रिया चलती रहती है जिससे कीट उड़ने के कारण पूरे फसल में फैल जाते है और फसल के रस को चूसते रहते है और रस चूसने के साथ यह पौधों में काले कवक का मधुस्त्राव छोड़ देता है।

जो पौधों को 50% तक और नुकसान पहुचाता है जिसका प्रभाव पौधों में लंबे समय तक नवम्बर-दिसंबर से लेकर मार्च तक रहता है।

माहू की रोकथाम नियंत्रण (Mahu Ki Roktham Ki Dawa, Dhan)

maho फसलो में लगने वाली एक ऐसी बीमारी है जिसकी रोकथाम नही होने पर पूरी फसल को ले डूबती है जिससे फसल काटने लायक नही बचता । इसलिए इसकी समय पर रोकथाम करना बहुत जरूरी है जिसको हम जैविक और रासायनिक विधि द्वारा नियंत्रित कर सकते है।

महू कीट रासायनिक नियंत्रण (Maho Chemical control)

आजकल के समय मे माहू कीट नियंत्रण के लिए रासायनिक विधि का उपयोग सबसे ज्यादा कर रहे हैं क्योंकि रासायनिक विधि द्वारा माहू का नियंत्रण जल्दी हो जाता है और फसल नुकसान होने से बच जाता है।

Dupont Pexalon Corteva कंपनी द्वारा निर्मित पेक्सालोन कीटनाशक छत्तीसगढ़, बिहार और मध्य प्रदेश साइड धान की फसलों में माहू की रोकथाम के लिए सबसे ज्यादा उपयोग होने वाले कीटनाशकों में से एक है ।

इसकी Technical Name Triflumezopyrim 10% SC है जो ब्राउन प्लांट हॉपर BPH का सर्वश्रेष्ठ रोकथाम करता है और किसानों को चिंता से दूर रखता है।

पेक्सालोन दूसरे कीटनाशको की अपेक्षा फसलों में BPH और WBPH बीमारी का सबसे अच्छा नियंत्रण करता है और इसका प्रभाव फसलों में लंबे समय तक रहता है।

इसकी छिड़काव फसल लगने के 45-60 दिन बाद करने से फसलो के पूरे जीवन चक्र में माहू का प्रकोप नहीं आता।

Dupont Pexalon का उपयोग आप प्रति एकड़ के हिसाब से 94ml उपयोग कर सकते हैं जिसकी बाजार में एकड़ के हिसाब से डिब्बी बनाई गई है।

रासायनिक विधि द्वारा नियंत्रण आप और बहुत से कीटनाशक का उपयोग करके Control कर सकते हैं जिसमें Dimethoate कीटनाशक का छिड़काव 1 लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से और 500ml इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव कर सकते हैं।

प्रकोप ज्यादा होने पर ऑक्सिडेमेटन मिथाइल 25% ईसी 1 Ltr का उपयोग 500 से 1000 लीटर पानी में ।

और थायामेथोक्साम 25 WG 50 से 100 ग्राम 500 से 1000 लीटर पानी में ।

और इसके अलावा एसिटामिप्रिड 1.1% और साथ मे साइपरमेथ्रिन 5.5% EC 175 से 200 मिली प्रति 500 लीटर पानी के साथ मिलाकर प्रति Hectare छिड़काव कर सकते है।

इसके अलावा भूरा माहू लगने पर फसलो में कंफीडोर 100ml, टोकान 100gm या Chess 150gm 1 acr में पानी के साथ स्प्रे कर सकते है।

माहू कीट का जैविक नियंत्रण (Aphids Organic control)

आज के समय में बहुत से किसान जैविक खेती अपनाने लगे है जो रासायनिक खेती करना पसंद ही नहीं करते हैं।

तो ऐसे किसान कीटों का नियंत्रण जैविक विधि से करते हैं तो आज हम माहू के नियंत्रण के बारे में जैविक विधि के द्वारा कैसे नियंत्रण कर सकते हैं maho kit के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

सोठास्त्र

सोठास्त्र जैविक विधि द्वारा Mahu ki Roktham में काफी ज्यादा उपयोग होता था जिसके जरिए किसान अपनी फसलों में आसानी से Mahu kit के प्रकोप से बच जाते थे।

सोठास्त्र के प्रयोग से मिर्जापुर जिले के किसानों ने सरसों की फसल को माहू कीट के प्रकोप से बचाया है वहां के किसानों का कहना है कि इसके उपयोग से सभी फसलो में माहु को नियंत्रित किया जा सकता है और इसका उपयोग तभी किया जाए जब फसलों में माहू का प्रकोप दिखने लगे।

सोठास्त्र बनाने की विधि

सोठ 200 ग्राम को 2 लीटर पानी में अच्छे से उबालना है और तब तक उबालना है जब तक वह पानी 1 लीटर ना रह जाए.

इसके बाद इसमें देसी गाय का 5 लीटर दूध गर्म करके इसकी मलाई निकाल दे अब दोनों तैयार होने के बाद सोठ के काढ़े और दूध को मिलाकर 200 लीटर पानी में अच्छे से घोलकर इसका 1 एकड़ में छिड़काव करें जिससे Mahu कुछ ही दिनों में नियंत्रित हो जाएगी।

अमृतपानी

अमृतपानी Brown Plant Hopper और एफीड्स की रोकथाम के लिए किया जाता है जिससे फसल में लगने वाले माहू और कीट पतंग की रोकथाम की जा सके।

अमृत पानी बनाने की विधि

1 Ltr देशी गाय का मूत्र शुद्ध वाला और 1 किलो देशी गाय का गोबर इसके साथ नीम की पत्ती बारीक पिसा हुआ होना चाहिए।

100 ग्राम गुड़, 1 किलो शुद्ध चने का बेसन जिसे आप आटा चक्की में पिसवा सकते है।

इन सभी चीजों को 10 Ltr पानी में घोल बनाकर एक बड़े पात्र में 10 से 15 दिनो के लिए भरकर और घोल को अच्छे से ढक कर रख दें।

10 से 15 दिनों के बाद इसे छानकर किसी छोटे डिब्बी में भरकर रख लें। जिसे एक एकड़ खेत में आधा लीटर अमृत पानी और 200 लीटर साफ पानी मिलाकर फसलो में छिड़काव करने से माहू कीट पूरी तरह से खत्म हो जाता है।

इसके अलावा आवारा पशु जो फसलों को नुकसान पहुचाते है भी इसकी गंध से फसलो से दूर रहते है जिससे फसलों की सुरक्षा बनी रहती है।

माहू से बचने के लिए सावधानी

फसलों को Brown Plant Hopper से बचाने के लिए हम अगर कुछ सावधानियां रखते हैं तो हमारी फसलों में Mahu के प्रकोप से बचा जा सकता है।

नया फसल लगाने से पहले पिछली फसलों के पौधों के अवशेष को अच्छे से साफ करें खेत की अच्छी तरह से सफाई करें जैसे धान की फसल में पराली का अच्छे से निपटारा करना चाहिए।

maho कीट की आबादी दूर करने के लिए हम परावर्तक पलवार का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

इसके लिए किसानों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वह फसल की रोपाई जब करें तो कभी भी पौधो को सटाकर रोपाई ना करें पौधों में एक निश्चित दूरी होनी चाहिए।

आज के समय में कीटनाशकों का उपयोग धड़ल्ले से होने लगा है जिससे मिट्टी में उपस्थित होने वाले जरूरी कीड़े भी मर जाते हैं तो किसान अपनी फसल में जितनी कम कीटनाशक का उपयोग करेंगे उतनी ही ज्यादा फायदा फसल को मिलेगी।

फसल लगने के बाद फसलों में नियमित रूप से रोग या कीट की उपस्थिति की जांच करते रहे और समय रहते कीट का उपचार कर लेना चाहिए।

फसलों में बीमारी खरपतवार की उपस्थिति के कारण भी होता है तो यह ध्यान रखें कि खेत में और खेत के आसपास खरपतवार की जांच करें और उसे अच्छी तरह से हटा दें।

FAQ

Q. जैविक कीट नियंत्रण से आप क्या समझते हैं?

Ans. जैविक कीट नियंत्रण मतलब फसलो में लगने वाले कीड़ो का रासायनिक दवाई का उपयोग ना करते हुए जैविक तरीके से नियंत्रित करना ।

Q. माहू कीट को क्या कहते हैं?

Ans. माहू कीट को हिंदी में फुदका और अंग्रेजी में एफीड्स कहा जाता है।

Q. धान में माहू की दवा कौन सी है?

Ans. धान में माहू की सबसे अच्छी दवा Dupont Pexalon है जो Corteva का आता है।

तो किसान साथियों यह रही हमारे द्वारा दी गई फसलों में लगने वाले माहू ब्राउन प्लांट हॉफर की जानकारी कि कैसे हम इसका रोकथाम कर सकते हैं और हम कुछ सावधानियां रखकर फसलों को माहू से बचा सकते हैं अगर आपको जानकारी पसंद आई है और जानकारी से संतुष्ट है तो अगले किसान वीरो के साथ जरूर शेयर करें।

आपका प्रेम पूर्वक धन्यवाद

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